भूत प्रेत पीड़ित व्यक्ति की पहचान कैसे करें kahanikar G न ही भूत-प्रेतों का कोई अस्तित्व होता है ! यह एक प्रकार की हवा होती है, कहा जाता है ! यह केवल एक हवा है ! भूत-प्रेत मनुष्यों के मन और शरीर पर नियंत्रण करते है ! और उन्हें अपने हिसाब से चलाते है। मनुष्यों का इस्तमाल करते है। भूत-प्रेत कितने प्रकार के होते है। प्रेत, राक्षस, पिशाच, यम, शाकिनी, डाकिनी, चुड़ैल, गंधर्व आदि विभिन्न नामों से पुकारा जाता है। ज्योतिष के अनुसार राहु की महादशा में चंद्र की अंतर्दशा हो और चंद्र दशापति राहु से भाव ६, ८ या १२ में बलहीन हो, तो व्यक्ति पिशाच दोष से ग्रस्त होता है। वास्तुशास्त्र में भी उल्लेख है कि पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद, ज्येष्ठा, अनुराधा, स्वाति या भरणी नक्षत्र में शनि के स्थित होने पर शनिवार को गृह-निर्माण आरंभ नहीं करना चाहिए, अन्यथा वह घर राक्षसों, भूतों और पिशाचों से ग्रस्त हो जाएगा। इस संदर्भ में संस्कृत का यह श्लोक द्रष्टव्य है : ”अजैकपादहिर्बुध्न्यषक्रमित्रानिलान्तकैः। समन्दैर्मन्दवारे स्याद् रक्षोभूतयुंतगद्यहम॥ भूत-प्रेत बाधा के योग इस प्...
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