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Horror & Supernatural

भूत प्रेतों पर यकीन नहीं करने वाले भी सोच में पड़ जाएंगे

                 भूत प्रेतों पर यकीन नहीं                      करने वाले भी सोच में पड़ जाएंगे     kahanikar G कुछ लोग मानते हैं कि भूत-प्रतों की भी अपनी दुनिया है और कभी-कभी यह अपनी दुनिया से निकलकर हम मनुष्यों की दुनिया में आ जाते हैं फिर कुछ अनहोनी घटनाएं होने लगती हैं। जबकि कुछ लोग भूत-प्रतों की बातों पर विश्वास नहीं करते हैं। ऐसे लोगों के अनुसार दुनिया में भूत-प्रेत नाम की कोई चीज ही नहीं होती है। ऐसे ही कुछ लोग उन दिनों उज्जैन रेडियो स्टेशन में मौजूद थे। दिसंबर का महीना था और रात के करीब नौ बज चुके थे। चारों तरफ घना कोहरा था। यूरोपियन कार्यक्रम के इंचार्ज बैनर्जी स्टूडियो से बाहर निकले और टहलते हुए लॉन में चले आए। अचानक बैनर्जी ने देखा कि आम के पेड़ के नीचे एक पुरुष की छाया है। अपना वहम समझकर बैनर्जी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। लेकिन कुछ ही पलों में ऐसी घटना हुई कि बनर्जी के होश उड़ गए। मारे डर के इनका बुरा हाल होने लगा।               ...

मायोंग

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                                मायोंग kahanikar G मायोंग, जहाँ चारों ओर सन्नाटा और रहस्य है, भारत के असम के मोरीगाँव जिले में ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर एक छोटा सा गाँव है। वर्षों से, इस अन्यथा शांत गांव ने अपने गहरे इतिहास के कारण पर्यटकों का बहुत ध्यान आकर्षित किया है और इसे लोकप्रिय रूप से 'ब्लैक मैजिक की भूमि' के रूप में जाना जाता है। यह जानने के लिए उत्सुक क्यों? यहां आपको इस रहस्यमय जगह के बारे में जानने की जरूरत है।                                                   mayong मायोंग का नाम कैसे पड़ा मायोंग नाम की उत्पत्ति कई कहानियों और स्रोतों द्वारा समर्थित है, हालांकि, उनके सच होने का कोई ठोस सबूत नहीं है। कुछ लोग कहते हैं कि यह संस्कृत शब्द माया से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'भ्रम', जबकि अन्य का मानना है कि यह मियोंग शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ दीमासा भाषा में हाथी होता है। क...

मौताणा

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                            मौताणा  kahanikar G मौताणा  राजस्थान में चली आ रही पुरानी प्रथाओं में से एक है। यदि कोई बच्चा किसी खेत से होकर निकल रहा है और उसे सांप ने डस लिया तो हो सकता है कि उस बालक की मौत पर खेत के मालिक को भारी हजार्ना भरना पड़े। इसे 'मौताणा प्रथा' कहते हैं। राजस्थान के आदिवासी इलाकों में आज भी एक प्रथा है ‘मौताणा’, जिसने अब तक हजारों परिवारों को तबाह कर दिया है।  राजस्थान की अरावली पहाडि़यों से सटे उदयपुर, बांसवाड़ा, सिरोही व पाली के आदिवासी इलाकों में रहने वाले आदिवासियों में इस प्रथा का सब से ज्यादा चलन है।  इस प्रथा की शुरुआत तो सामाजिक इंसाफ के मकसद से हुई थी, जिसमें अगर किसी ने किसी शख्स की हत्या कर दी तो कुसूरवार को सजा के तौर पर हर्जाना देना पड़ता था, लेकिन अब दूसरी वजहों से हुई मौतों पर भी आदिवासी ‘मौताणा’ मांग लेते हैं। पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि किसी भी वजह से हुई अपनों की मौत का कुसूर दूसरों पर मढ़ कर जबरन ‘मौताणा’ वसूल किया जाने लगा है। दरअसल, जब मरने वाले का...

भूत प्रेतों और आत्माओं से जुड़े सबसे डरावने तथ्य

       भूत प्रेतों और आत्माओं से जुड़े सबसे डरावने तथ्य kahanikar G कुचिसाके-ओन्ना जापान के लोककथाओं के अनुसार = कुचिसाके-ओन्ना  एक ऐसी महिला की आत्मा है जिसका मुँह दोनों कानों तक कटा हुआ है और वह अपना मुँह किसी मास्क या कपड़े से छुपा कर रखती है साथ ही अपने साथ चाकू या कैंची जैसी धारदार चीज भी रखती है। माना जाता है उसकी आत्मा सड़कों पर घूमती है और किसी अकेले इंसान के सामने जाकर पूछती है कि क्या वह सुंदर है? अगर इंसान नहीं कहेगा तो वह उस इंसान की हत्या कर देती है और इंसान हाँ कहता है तो वह अपना मास्क निकाल कर अपना कटा हुआ चेहरा दिखाती है और उस इंसान से फिर वही सवाल करती है। इस बार अगर इंसान नहीं कहता है तो वह आत्मा उसकी हत्या कर देती है और अगर हाँ कहता है तो वह इंसान का मुँह अपने साथ रखे हुए तेज हथियार से अपनी तरह कान तक काट देती है। रोता हुआ बच्चा 1979 के समय में  इंग्लैंड  में बहुत से लोगों के घर और कारोबार जल कर नष्ट हो गए और इन सभी घटनाओं में एक समान चीज थी जो थी  रोता हुआ बच्चा  की तस्वीर। दरअसल कहीं पर भी आग लगने के बाद जब सब कुछ नष्ट हो जा...

बंगाली भूत और उनकी आकर्षक कहानी

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         बंगाली भूत और उनकी आकर्षक कहानी kahanikar G भूत की कहानियां हमेशा से बंगाली साहित्य का अभिन्न अंग रही हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इसने हमें कितना डरा दिया, सोने के समय हमारे दादा-दादी से एक भूत की कहानी बहुत जरूरी थी। किसी भी बंगाली की तरह हमारे भूत भी उतने ही अनोखे हैं जितने कि हमारी संस्कृति। यदि आप आज रात एक स्वादिष्ट मछली पकवान का आनंद लेने वाले हैं तो वे आपको नुकसान पहुंचाने के लिए या खुद को रात के खाने के लिए आमंत्रित करने के लिए अंधेरी गली के रास्ते में दुबके हुए हो सकते हैं। पेटनी वे अविवाहित महिलाओं के भूत हैं, जो अधूरी इच्छाओं के साथ मर गईं। वे कोई भी आकार ले सकते हैं और कहा जाता है कि वे शायरा गच्छ या सैंडपेपर अंजीर के पेड़ों में रहते हैं। शकचुन्नी वे विवाहित महिलाओं के भूत हैं, जिन्हें अक्सर लाल और सफेद साड़ी, और शंख और पोला (खोल और मूंगा) चूड़ियाँ पहने देखा जाता है। वे तालाबों के पास रहने वाले हैं, और अगर वे अमीर विवाहित महिलाओं को पास में देखते हैं, तो उनके पास ये महिलाएं हैं, ताकि वे अपने विवाहित दिनों को एक बार फिर से जी सकें। ममदो ...

भूत प्रेत पीड़ित व्यक्ति की पहचान कैसे करें

      भूत प्रेत पीड़ित  व्यक्ति की पहचान कैसे करें kahanikar G न ही भूत-प्रेतों का कोई अस्तित्व होता है ! यह एक प्रकार की हवा होती है, कहा जाता है !  यह केवल एक हवा है ! भूत-प्रेत मनुष्यों के मन और शरीर पर नियंत्रण करते है ! और उन्हें अपने हिसाब से चलाते है। मनुष्यों का इस्तमाल करते है। भूत-प्रेत कितने प्रकार के होते है।  प्रेत, राक्षस, पिशाच, यम, शाकिनी, डाकिनी, चुड़ैल, गंधर्व आदि विभिन्न नामों से पुकारा जाता है। ज्योतिष के अनुसार राहु की महादशा में चंद्र की अंतर्दशा हो और चंद्र दशापति राहु से भाव ६, ८ या १२ में बलहीन हो, तो व्यक्ति पिशाच दोष से ग्रस्त होता है। वास्तुशास्त्र में भी उल्लेख है कि पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद, ज्येष्ठा, अनुराधा, स्वाति या भरणी नक्षत्र में शनि के स्थित होने पर शनिवार को गृह-निर्माण आरंभ नहीं करना चाहिए, अन्यथा वह घर राक्षसों, भूतों और पिशाचों से ग्रस्त हो जाएगा। इस संदर्भ में संस्कृत का यह श्लोक द्रष्टव्य है : ”अजैकपादहिर्बुध्न्यषक्रमित्रानिलान्तकैः। समन्दैर्मन्दवारे स्याद् रक्षोभूतयुंतगद्यहम॥ भूत-प्रेत बाधा के योग इस प्...